“Shaniwar Wada ने 18वीं शताब्दी के दौरान वास्तुकला की शानदार झलक दिखाई। मूल रूप से पेशवाओं के निवास के रूप में कल्पना की गई, यह राजसी महल अपनी वास्तुकला में मुगल डिजाइन तत्वों के मिश्रण का उदाहरण है। मराठा कारीगरों द्वारा की गई जटिल नक्काशी और आश्चर्यजनक डिजाइन उनकी असाधारण शिल्प कौशल को दर्शाते हैं। शिवराम कृष्ण, देवजी सुतार, कोंडाजी सुतार और मोरारजी पाथरवत भोजराजा जैसे उल्लेखनीय कारीगरों ने इसके निर्माण में योगदान दिया। इसके द्वारों में से, दिल्ली दरवाजा (दिल्ली गेट) एक प्रसिद्ध प्रवेश द्वार है, जो उत्तर की ओर है। खिड़की दरवाजा पूर्व की ओर है, जबकि गणेश दरवाजा दक्षिण-पूर्व की ओर है। Shaniwar Wada में कमल के आकार का फव्वारा उल्लेखनीय है, जो सत्रह पंखुड़ियों से सुसज्जित है। आगंतुक परिसर के भीतर ध्वनि और प्रकाश शो का भी आनंद ले सकते हैं। Shaniwar Wada की ऐतिहासिक संरचना एक केन्द्रीय बिन्दु बनाती है जिसके चारों ओर पुणे शहर का पुराना भाग फैला हुआ है, जो कुछ हद तक अव्यवस्थित किन्तु आकर्षक संरचित लेआउट प्रदर्शित करता है।”
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