DASHASHWAMEDH GHAT
1740 से
विशेषता:
“दशाश्वमेध घाट की स्थापना पेशवा बालाजी बाजी राव ने 1748 में की थी और यह गंगा नदी के तट पर प्राचीन काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित है। 1774 में, इसे इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा बहाल किया गया था। यह घाट दैनिक अग्नि पूजा के लिए प्रसिद्ध है, जो शाम को भगवान शिव को समर्पित पुजारियों के एक समूह द्वारा किया जाता है। यह वाराणसी में सबसे लोकप्रिय और अक्सर देखा जाने वाला घाट है, जो हर शाम विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती की मेजबानी करता है। दशाश्वमेध घाट वर्षों से भक्तों, तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए एक पवित्र स्थल रहा है। यह एक गहरा आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करता है।”
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